SEBI का बड़ा फैसला: Reliance Home Finance और Anil Ambani पर भारी जुर्माना,
अनिल अंबानी जिन्होंने 2020 में अपने को दिवालिया घोषित कर दिया था ब्रिटेन की एक कोर्ट के सामने बताया कि हमारे पास कुछ नहीं है सेबी ने जांच की और सेबी ने पाया है कि अनिल अंबानी ने अपनी कंपनी Reliance के शेयर होल्डर्स का पैसा अपने निजी इस्तेमाल के लिए निकाला इसमें उनके साथ बहुत लोग शामिल थे बड़ी पूरी स्कीम रची गई थी एक पूरा जाल तैयार किया गया था और यह नतीजा निकलने के बाद सेबी ने उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है
अनिल अंबानी और उनके साथ 24 एंटिटीज शामिल हैं जिसमें अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है और 5 साल के लिए उन्हें शेयर मार्केट में सिक्योरिटीज मार्केट में किसी भी तरह का कारोबार करने से लेनदेन करने से रोक दिया गया है उन पर पाबंदी लग गई है बैन लग गया है अनिल अंबानी अब ना शेयर खरीद सकते हैं ना बेच सकते हैं यह आदेश SEBI ने दिया है और इसके साथ उनकी कंपनी रिलाय होम फाइनेंस भी छ महीने के लिए मार्केट से बाहर कर दी गई है बैन कर दी गई है और उस पर 6 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया गया है और यह खबर आने के साथ ही बाजार में जो उनकी कंपनियां है जितनी लिस्टेड कंपनिया है रिलायंस पावर ,होम फाइनेंस और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लगभग 14 परसेंट तक गिर गई !
आखिर क्या है पूरा मामला आईये समझते है ;
आज हम एक ऐसे फाइनेंशियल स्कैम के बारे में बात करेंगे जो इंडिया के कॉरपोरेट दुनिया में एक बड़ा धमाका बना हुआ है हम बात कर रहे हैं reliance की जिसको बैन कर दिया है आखिर यह स्कैम कैसे हुआ क्या कारण थे इसके पीछे और इसका इंपैक्ट क्या हो सकता है यह सब हम आज डिटेल में समझेंगे तो क्योंकि यह समझना जरूरी है कि ऐसे स्कैम किस तरीके से पूरी इकॉनमी को अफेक्ट कर सकते हैं
पहले समझते है RHFL क्या है ?
RHFL एक नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी है जो हाउसिंग लोन्स एंड प्रॉपर्टी और कंस्ट्रक्शन फाइनेंस प्रोवाइड करती है RHFL के मेजर प्रमोटर थे रिलाइंस लिमिटेड यानी RCLजो अनिल अंबानी के कंट्रोल में था RCLका RHFL में 47.9 का शेयर होल्डिंग था अनिल अंबानी जो RCL के प्रमोटर और नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे, आइए जानते हैं कि सेबी क्या है सेबी यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया एक रेगुलेटरी बॉडी है जो इंडिया के सिक्योरिटीज मार्केट्स को रेगुलेट करती है इसका मेन ऑब्जेक्टिव है इन्वेस्टर प्रोटेक्शन और मार्केट इंटीग्रिटी को इंश्योर करना सेबी “स्टॉक मार्केट” “म्यूचुअल फंड्स” “स्टॉक ब्रोकर” और अन्य फाइनेंशियल एंटिटीज को मॉनिटर करती है जब “सेबी” आरएचएफएल के फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन की जांच करना शुरू करता है सेबी को कई कंप्लेंट्स और रिपोर्ट्स मिली थी जिसमें यह क्लेम किया गया था कि कंपनी के फंड्स को गलत तरीके से डाइवर्ट या साइफन किया जा रहा है, सेबी के इन्वेस्टिगेशन के दौरान यह पता चला कि आरएचएफएल ने 2018 से 2019 के दौरान अपने कॉरपोरेट्स को दिए गए LOAN को एकदम से बढ़ा दिया था, यह लोंस का अमाउंट 2017-18 में 3742 करोड़ 60 लाख से बढ़कर 2018-19 में 8670 करोड़ 80 लाख रूपये तक पहुंच गया! जो कि एक चौकाने वाली बात थी अब सवाल ये उठता है कि इतना बड़ा लोन दिया कहां गया? सेबी के ऑर्डर के मुताबिक यह लोंस उन लोगो को दिए गए जिनके पास ना तो अच्छी फाइनेंशियल थी, ना सिक्योरिटी और ना ही कलैटल इन बर्स के पास फाइनेंशियल टर्म में कोई दम नहीं था उनके प्रॉफिट्स एसेट्स कैश फ्लो सब नेगेटिव थे या नेगलिजिबल थे ये एक बहुत ही बड़ा रेड फ्लैग था लेकिन फिर भी आरएचएफएल ने ये LOANS दिए, साल 2018-19 के दौरान आरएचएफएल ने 97 जनरल पर्पस कैपिटल लोंस दिए जिनका टोटल अमाउंट 8470 करोड़ 65 लाख रूपये था और यह 45 बॉलोर एंटिटीज को दिए गए सबसे चौकाने वाली बात यह थी कि कई एप्लीकेशंस तो सेम डेट पर अप्रूव भी हो गई और लोन भी डिसबर्स हो गया!
11फरवरी 2019 को आरएचएफएल के बोर्ड ने कंपनी को यह इंस्ट्रक्शन दी कि अब और जीपीएस लोंस डिसबर्स नहीं किए जाएंगे लेकिन उसके बावजूद आरएचएफएल ने लोंस डिसबर्स किए और इन सब के पीछे अनिल अंबानी का हाथ था अनिल अंबानी जो की reliance के चेयरमैन है उन्होंने 1472 करोड़ 16 लाख के 14 लोंस अप्रूव किए! 11 फरवरी 2019 से लेकर 31 मार्च 2019 के बीच में और यह सब तब हुआ जब वह ऑफिशियल आरएचएफएल का पार्ट नहीं थे! सेबी की इन्वेस्टिगेशन में यह बात सामने आई कि आरएचएफएल ने अपनी एसेट्स का लगभग आधा हिस्सा GPC लोंस में इन्वेस्ट कर दिया था जो कि उन borrowers को दिए गए थे जिनकी फाइनेंशियल कंडीशन बहुत ही खराब थी!
सेबी ने अपने ऑर्डर में यह भी नोट किया है कि आरएचएफएल ने अपने फाइनेंशियल्स में एक्सपेक्टेड क्रेडिट लॉस को काफी कम दिखाया है जो कि एक्चुअल फाइनेंशियल रिस्क से बिल्कुल अपोजिट था इस केस में आरएचएफएल ने स्टैंडर्ड क्रेडिट प्रोसेस को ना के बराबर फॉलो किया है! सेबी कहता है कि अनिल अंबानी और बाकी 24 एंटिटीज एक फ्रॉड स्कीम में शामिल हैं जो आखिरकार नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स बन गए यह लोन उन एंटिटीज को दिए गए जो डायरेक्टली या इनडायरेक्टली रिलायंस ऐडा ग्रुप से जुड़े हुए थे!जिससे अनिल अम्बानी को फायदा हुआ सेबी का ये भी कहना है ये लोन एक स्ट्रक्चर तरीके से दिए गये ताकि पैसे का ट्रान्सफर रिलायंस ADA ग्रुप की कंपनी को किया जा सके, सेबी ने यह कंक्लूजन निकाला की लोंस का मेन ऑब्जेक्टिव फंड ट्रांसफर था! जिसमें अनिल अंबानी को डायरेक्ट या इनडायरेक्ट फायदा होता! सेबी के इस ऑर्डर के बाद अनिल अंबानी ने लीगल ऑप्शन एक्सप्लोर करना शुरू कर दिया है उनके स्पोक पर्सन ने एक स्टेटमेंट में कहा है कि अनिल अंबानी ने सेबी के इंटरिम ऑर्डर के बाद जो 11 फरवरी 2022 को आया था। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर के बोर्ड्स से इस्तीफा दे दिया था। और तब से वो ऑर्डर के साथ कॉम्प्लाइन्ट है अब अनिल अंबानी ने 22 अगस्त 2024 के फाइनल ऑर्डर को रिव्यू करने का फैसला किया है और लीगल एक्शन लेने पर विचार कर रहे हैं यह पूरा केस एक बहुत ही सीरियस इशू को हाईलाइट करता है कि कैसे गवर्नेंस स्ट्रक्चर और एथिकल प्रैक्टिस का टूटना एक कंपनी के शेयर होल्डर और ब्रॉडर फाइनेंशियल मार्केट के लिए कितना नुकसान साबित हो सकता है सेबी का यह कदम एक स्ट्रांग मैसेज देता है कि अगर किसी रेगुलेटेड एंटिटी में ऐसे गलत काम होते हैं तो उसका नतीजा बहुत ही खतरनाक हो सकता है इस केस का इंपैक्ट अनिल अंबानी के इमेज पर पड़ेगा! सेबी के इस फैसले से दुसरे कंपनियों को भी सबक मिलेगी|