State Level Advocacy Meeting on Child Trafficking;

दिनांक 22.12.23 को डी सी ऑफिस के ऑडिटोरियम, नन्द नगरी दिल्ली में SPID NGO द्वारा बाल तस्करी के मुद्दे पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में श्री क्षितिज कुमार मिश्रा (एस डी एम, शाहदरा) ,श्री कमलेश कुमार(एस डी एम, विवेक विहार), श्री विक्रम बिष्ट, एस डी एम मुख्यालय), श्री मोहन कुमार(एस डी एम् सीमापुरी) की गरिमामय उपस्थिति रही। श्री हनीफ उर रहमान (सीनियर एडवोकेट), श्री अवधेश यादव(स्पीड सी ई ओ), सुश्री वागीशा सिन्हा ( प्रोजक्ट मैनेजर), श्री सरजीत (प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर ), सुश्री तनु वर्मा(स्प्रोग्राम मैनेजर), श्री डेविड, श्री दीपक कुमार , श्रीमति भावना पांडे, कविता इत्यादि उपस्थित रहे।

सुश्री वागीशा द्वारा बताया गया कि हम ये कार्यक्रम बाल यौन शौषण की रोकथाम के लिए कर रहे है । कार्यक्रम में आए रिसोर्स पर्सन श्री हनीफ उर रहमान जी ने बाल यौन तस्करी के कारणों, तस्करी कैसे होती है और कौन कौन इसमें तस्कर शामिल होते हैं साथ ही बाल यौन तस्करी अपराध में कौन कौन से कानून लागू होते हैं विस्तार पूर्वक बताया इस अवसर पर उप जिलाधीश द्वारा SPID संस्था और बैठक में आए सी डब्लू सी के सदस्यों , डीसीपीओ (नॉर्थ) जीआरपी/आरपीएफ और अन्य एनजीओ के सदस्यों को आश्वासन दिया कि वह बाल यौन तस्करी मामलों में सहायता के लिए सदेव तत्पर रहेंगे!

About Society for Participatory Integrated Development (SPID):

सोसाइटी फॉर पार्टिसिपेटरी इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट (एसपीआईडी) एक भारतीय गैर-सरकारी संगठन है, जो हाशिए पर रहने वाले लोगों के समग्र विकास की बेहतरी और समाज में स्थायी बदलाव लाने के लिए काम कर रहा है।
SPID एक भारतीय गैर-सरकारी संगठन है, जो हाशिए पर रहने वाले लोगों के समग्र विकास की बेहतरी और समाज में स्थायी बदलाव लाने के लिए काम कर रहा है। SPID राजधानी दिल्ली में स्थित है और उत्तर प्रदेश के पांच जिलों में कार्य करती है। SPID NGO गांवों और शहरी मलिन बस्तियों दोनों में वंचित समुदायों में सक्रिय रुप से अपनी सेवा देती हैं। जो बेरोजगारी, गरीबी, खराब स्वास्थ्य, अशिक्षा, दुर्व्यवहार और हिंसा के दुष्चक्र को तोड़ना चाहते हैं।

What are the laws of Child trafficking ?

बाल तस्करी के कानून क्या हैं?

बाल यौन तस्करी एक जघन्य अपराध है जिसमें व्यावसायिक यौन उद्देश्यों के लिए बल, धोखाधड़ी या जबरदस्ती के माध्यम से नाबालिगों का शोषण शामिल है। कानून अलग-अलग देशों में अलग-अलग होते हैं, लेकिन कई में अपराधियों के लिए कड़े दंड हैं।
भारत में, बाल यौन तस्करी को विभिन्न कानूनों के तहत संबोधित किया जाता है। प्राथमिक कानून अनैतिक तस्करी (रोकथाम) अधिनियम, 1956 (ITPA)  है, जो नाबालिगों को शामिल करने सहित व्यावसायिक यौन शोषण के लिए तस्करी को अपराध मानता है। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012, एक और महत्वपूर्ण कानून है जो विशेष रूप से बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से निपटता है, जिसमें तस्करी सहित कई प्रकार के अपराध शामिल हैं।

Immoral Traffic (Prevention) Act (ITPA) वेश्यावृत्ति के उद्देश्य से व्यक्तियों की तस्करी पर रोक लगाता है और इसमें यौन उद्देश्यों के लिए बच्चों की तस्करी और शोषण में शामिल लोगों को दंडित करने के प्रावधान शामिल हैं। POCSO अधिनियम बच्चों के खिलाफ अपराधों पर ध्यान केंद्रित करता है और अपराधों की शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रक्रियाओं का प्रावधान करता है। भारत में तस्करी और शोषण के विभिन्न पहलुओं को संबोधित करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अन्य कानूनों के तहत विभिन्न प्रावधान हैं।

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